लेखनी कहानी -15-Dec-2022 वो लड़की नही आफत की पुड़िया थी
शीर्षक = वो लड़की नही आफत की पुड़िया थी
बाप रे बाप! सुषमा वो लड़की जो बाजार में मिली थी आफत की पुड़िया थी , मैं तो उसे देखती की देखती ही रह गयी , एक बार तो मुझे मेरी खुद की आँखों पर भी भरोसा नही हुआ की वो सच में एक लड़की ही थी, मैं तो समझी कोई लड़का था, अगर उसके बाल ना खुलते तो मुझे पता ही नही चलता की वो लड़की थी
देखने में तो कितनी चंचल सी नाजुक सी लग रही थी, पतली सी कमर थी उसकी " सरिता ने अपने साथ बाजार से लोट रही अपनी पड़ोसन सुषमा से कहा
"सही कहा बहन , मुझे भी यकीन नही आया उस लड़की को वो सब करते देख , वो एक लड़की थी और किस तरह उसने बाजार में महिलाओं और लड़कियों को परेशान कर रहे गुंडों पर धाबा बोल दिया शेरनी की तरह उसने उन गुंडे मवाली लड़को पर हमला किया, उनमे से एक लड़के ने तो मेरी साड़ी का पल्लू भी पकड़ा था, कम्बख्त कही का उसकी माँ की उम्र की हूँगी मैं, और देखो बाजार में किस तरह की हरकतें कर रहा था वो कोख भी ना जाने किस अभागन माँ की होगी जिसने ऐसे लड़को को जन्म दिया होगा जो बाजार में बैठ कर दूसरों की बहु बेटियों पर गन्दी नज़र डाल रहे थे
लेकिन आज उस लड़की ने उन्हें अच्छा सबक सीखा दिया, मेरा तो दिल चाह रहा था की मैं भी दो दो हाथ दिखा ही देती," सुषमा ने कहा
"हाय सुषमा केसी बाते कर रही है, क्या तू भी उस लड़की की तरह उन बदतमीज और आवारा लड़को को मारती, वो तो ना जाने कहा से आयी थी और कहा को चली गयी अपने दाव पेच दिखा कर, किसी को कही मारा तो किसी को कही अच्छा सबक सिखाया पर तू कैसे उन्हें मारती तुझे और हमें तो यही रहना है , हमारा और तुम्हारा तो रोज़ का ही उस बाजार आना जाना है, भला तुम कैसे उन आवारा लड़को से दुश्मनी मोल ले सकती थी , और मोहल्ले वाले क्या कहते अगर शाम को भाई साहब को बता देते की तुम्हारी लुगाई बाजार में आवारा लड़को को मारती फिर रही है , तब पता है क्या होता "सरिता जी ने कहा अचानक से सुषमा जी को रोक कर
"क्या होता? वो भी अपनी भड़ास हम पर उतार देते, हमें डांट देते या फिर हमसे बोलना छोड़ देते, या बहुत होता तो तलाक की धमकी या फिर मायके छोड़ आने का कह देते और क्या कर सकते है तुम्हारे भाई साहब अगर स्त्री पर सरे बाजार हाथ डालने वाले को पीटने पर, अपने अपमान का बदला लेने पर उसके बदले में हमें ये सब मिलता तो हमें मंजूर होता
यूं इस तरह डर डर कर, अपना दामन बचा बचा कर बाजार से घर और घर से बाजार जाने से तो बेहतर ही होता
वो लड़की ना जाने कौन थी और कहा से आयी थी लेकिन वो हम सब को वहाँ खड़े लोगो को खास कर स्त्रियों को एक बहुत बडी शिक्षा देकर चली गयी की अब स्त्री को अपनी रक्षा स्वयं ही करना पड़ेगी भले ही लाज औरत का गहना है लेकिन अब इस समाज में जहाँ कदम कदम पर रावण और दुशासन बैठे हो वहाँ स्त्री को अपनी लाज किस तरह बचानी है और किस तरह इन राक्षसों का सामना करना है उसका ज्ञान भी देना जरूरी है
वो लड़की जिस बहादुरी से उन सब मंचले लड़को से भिड़ी और अपनी लाज बचाने के साथ साथ और भी महिलाओं की लाज उसने बचा ली, नही तो वो ना जाने कितनी और महिलाओं के चुप रहने को उनकी कमज़ोरी समझ कर अपनी हवस मिटाते रहते और हम जैसी महिलाएं लोक लाज ले भय से सब कुछ सहकर बर्दाश्त करती हुयी अपने आप से ही कुढ़ती हुयी घर आ जाती लेकिन आज उस लड़की ने जो कुछ किया वो कबीले तारीफ था , उसने अपनी सुंदरता और कोमलता को अपनी कमज़ोरी नही बल्कि ताकत बना कर पेश किया और बहादुरी से भीड़ गयी उन आवारा लड़को से धन्य हो वो माँ जिसने ऐसी बेटी को जन्मा जो अपनी रक्षा स्वयं करना जानती है, ईश्वर ने भी अगर मुझे बेटी दी तो मैं उसे वैसा ही बनाउंगी जैसा की वो लड़की थी , जो जुर्म के खिलाफ डट कर सामना करने को तैयार थी " सुषमा जी ने कहा
"बात तो तेरी ठीक है, सुषमा हम लोग चुप रहते है जब ही तो ये बाजार में कोने कोने पर बैठे आवारा लड़को की हिम्मत बड़ती है , अगर हम भी समय रहते इट का जवाब पत्थर से दे तो शायद उनकी हिम्मत फिर दोबारा किसी स्त्री पर हाथ डालने की ना हो वैसे तू सही कह रही है आज के इस कलयुग में लड़की को ऐसा ही होना चाहिए जैसा की वो लड़की थी , सामने से लड़की थी लेकिन अपनी इज़्ज़त पर हाथ डालने वालों के लिए वो दुर्गा समान थी " सरिता ने कहा और वो दोनों अपने अपने घर चली गयी
प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 09:05 PM
ऐसी लड़की होनी चाहिए
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Abhilasha deshpande
15-Dec-2022 05:21 PM
Osm story urooj sir always
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abhiwrites
15-Dec-2022 10:34 AM
वर्तमान में प्रत्येक लड़की को सुषमा की तरह होने की जरूरत है 💪
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